HELPING THE OTHERS REALIZE THE ADVANTAGES OF MAHA KALI SIDDHA KAVACH

Helping The others Realize The Advantages Of maha kali siddha kavach

Helping The others Realize The Advantages Of maha kali siddha kavach

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Gain: Kali is Mom to her devotees not because she safeguards them through the demons when Lord Vishnu is asleep but for the reason that she reveals to them their mortality and so releases them to act totally and freely, releases them from your remarkable, binding web of “adult” pretense, practicality, and rationality and recitation of this mantra assists On this realization.

न देयं परशिष्येभ्यो ह्यभक्तेभ्यो विशेषतः ॥

) Suppose anyone states which the matter just isn't 'jal' but 'pani', or that it's not 'pani' but 'drinking water', or that it's not 'water' but 'jal', It could without a doubt be ridiculous. But this quite thing is at the basis in the friction among the sects, their misunderstandings and quarrels. That is why people injure and destroy each other, and drop blood, during the name of religion. But it's not great. Everyone is going toward God. They may all realize Him if they've got sincerity and longing of coronary heart."

जो साधक अपने इष्ट देवता का निष्काम भाव से अर्चन करता है और लगातार उसके मंत्र का जप करता हुआ उसी का चिन्तन करता रहता है, तो उसके जितने भी सांसारिक कार्य हैं उन सबका भार मां स्वयं ही उठाती हैं और अन्ततः मोक्ष भी प्रदान करती हैं। यदि आप उनसे पुत्रवत् प्रेम करते हैं तो वे मां के रूप में वात्सल्यमयी होकर आपकी प्रत्येक कामना को उसी प्रकार पूर्ण करती हैं जिस प्रकार एक गाय अपने बछड़े के मोह में कुछ भी करने को तत्पर हो जाती है। अतः सभी साधकों को मेरा निर्देष भी है और उनको परामर्ष भी कि वे साधना चाहे check here जो भी करें, निष्काम भाव से करें। निष्काम भाव वाले साधक को कभी भी महाभय नहीं सताता। ऐसे साधक के समस्त सांसारिक और पारलौकिक समस्त कार्य स्वयं ही सिद्ध होने लगते हैं उसकी कोई भी किसी भी प्रकार की अभिलाषा अपूर्ण नहीं रहती ।

इत्येतत् कवचं दिव्यं कथितं शम्भुना पुरा ।

राजपुरुषान् स्त्रियो मम वश्यान् कुरु कुरु तनु तनु धान्यं

Hindus think Sanskrit is a language of dynamism, and every of these letters represents a type of energy, or maybe a kind of Kali. Therefore, she is normally observed because the mom of language, and all mantras.

त्वमेव शरणं नाथ त्राहि माम् दुःख संकटात् ।

तो हम कैसे ये साधना कर पायेंगे, आपके पास इसका कोई हल है, तो बताइये

ॐ ह्रीं कालिकायै स्वाहा मम पृष्ठं सदाऽवतु ।

रहस्यं श्रृणु वक्ष्यामि भैरवि प्राण वल्लभे ।

श्री अर्थात लक्ष्मी, ह्रीं अर्थात शक्ति, ऐं अर्थात सरस्वती रूपिणी

ॐ ह्रीं ह्रीं रूपिणीं चैव ह्रां ह्रीं ह्रां रूपिणीं तथा ।

महाकाली, महाकाल की वह शक्ति है जो काल व समय को नियन्त्रित करके सम्पूर्ण सृष्टि का संचालन करती हैं। आप दसों महाविद्याओं में प्रथम हैं और आद्याशक्ति कहलाती हैं। चतुर्भुजा के स्वरूप में आप चारों पुरूषार्थों को प्रदान करने वाली हैं जबकि दस सिर, दस भुजा तथा दस पैरों से युक्त होकर आप प्राणी की ज्ञानेन्द्रियों और कर्मेन्द्रियों को गति प्रदान करने वाली हैं। शक्ति स्वरूप में आप शव के उपर विराजित हैं। इसका अभिप्राय यह है कि शव में आपकी शक्ति समाहित होने पर ही शिव, शिवत्व को प्राप्त करते हेैं। यदि शक्ति को शिव से पृथक कर दिया जाये तो शिव भी शव-तुल्य हो जाते हैं। शिव-ई = शव । बिना शक्ति के सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड और शिव शव के समान हैं। मेरे कहने का तात्पर्य यह है कि इस सम्पूर्ण सृष्टि में शिव और शक्ति ही सर्वस्व हैं। उनके अतिरिक्त किसी का कोई आस्तित्व नहीं है।

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